अपने हाथों अपनी तकदीर लिखने की कलम साबित हुई ‘मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना’  

"सफलता की कहानी" दूसरों की दुकान पर मामूली पगार में काम करने वाले राहुल अब हैं दुकान के मालिक, अपने हाथों अपनी तकदीर लिखने की कलम साबित हुई 'मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना'
 
उज्जैन। शहर के मक्सी रोड स्थित महावीर एवेन्यु में रहने वाले 27 वर्षीय राहुल जैन आज से तीन साल पहले जब शाजापुर के बड़ागांव से उज्जैन आये थे, तो बस यही ख्वाहिश लिये कि यहां अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करेंगे। परिवार में बड़ी बहन की शादी और बीमार पिता के इलाज के लिये हुए खर्च के बाद राहुल को मजबूरन अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ी थी। नया व्यवसाय प्रारम्भ करने के लिये राहुल के पास इतनी जमा पूंजी नहीं थी। उन्होंने अपने कई सगे-सम्बन्धियों से मय ब्याज के कर्ज मांगा, यह कहकर कि समय आने पर वे उनकी पाई-पाई चुका देंगे, लेकिन सक्षम होने के बावजूद कोई भी रिश्तेदार बिना जमानत के उन्हें कर्ज देना नहीं चाहता था। यही रवैया सभी बैंकों का भी था, लेकिन यदि राहुल के पास गिरवी रखने के लिये कुछ होता तो किसी से कर्ज वे लेते ही क्यों।
 मजबूरन दो साल तक राहुल को दूसरों की दुकानों पर मामूली-सी पगार में काम करना पड़ा। नये काम सीखने के दौरान उन्हें कई बार दुकान मालिकों के उलाहने सुनने पड़ते थे। एक दिन तंग आकर राहुल ने यह फैसला कर लिया था कि किसी की गुलामी कर दो बातें सुनने से अच्छा है अपना मालिक खुद बनना। राहुल अपने हाथों खुद अपनी तकदीर लिखना चाहते थे। वही तकदीर लिखने में राहुल की कलम साबित हुई मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना।
 रेडीमेड कपड़े की दुकान पर काम करते हुए राहुल को अक्सर आसपास के गांव में माल पहुंचाने के लिये जाना पड़ता था। एक बार जब वे किसी काम से तराना गये थे तो वहां शासन की विभिन्न हितग्राहीमूलक योजनाओं का शिविर लगा हुआ था। गाड़ी से सामान उतारने में देरी थी तो राहुल ऐसे ही टहलते हुए शिविर में पहुंच गये। वहां उन्हें 'मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना' का पेम्पलेट हाथ लगा, जिसमें शासन द्वारा स्वयं का रोजगार स्थापित करने के लिये उपलब्ध कराई जाने वाले ऋण पर अनुदान राशि दिये जाने के बारे में जानकारी दी गई थी।
 इसे पढ़कर राहुल को विश्वास हो गया था कि अब उनकी तकदीर बदलने वाली है। राहुल अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं, इसीलिये उन्होंने देवास रोड आरटीओ के समीप स्थित पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय में जाकर सम्पर्क किया। वहां के अधिकारी और स्टाफ द्वारा उन्हें पूरी योजना और शर्तों के बारे में बताया गया तथा आवेदन के साथ संलग्न किये जाने वाले महत्वपूर्ण दस्तावेजों के बारे में भी मार्गदर्शन किया गया।
 राहुल ने कार्यालय में ऋण के लिये आवेदन दिया और कुछ ही महीनों में उन्हें 6 लाख 69 हजार रुपये का लोन मिल गया, जिसमें शासन की ओर से दो लाख रुपये की अनुदान राशि भी उपलब्ध कराई गई थी। इन रुपयों ने राहुल की जिन्दगी की गाड़ी को पटरी पर सरपट दौड़ाने के लिये ईंधन का काम किया। आज राहुल की अपनी खुद की शहर के फ्रीगंज में अरिहंत कलेक्शन नामक छोटे बच्चों के रेडीमेड कपड़ों की दुकान है। राहुल को प्रतिमाह तकरीबन 30 से 40 हजार रुपये का मुनाफा हो रहा है। राहुल कहते हैं कि 'मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना' से उनके जैसे कई युवाओं की बेरोजगारी दूर हुई है तथा स्वयं का व्यवसाय करने की इच्छाओं को भी संबल मिला है। हाल ही में राहुल ने अपने एक अल्पसंख्यक वर्ग के मित्र को भी योजना के बारे में बताया, जिससे उसे भी लोन मिल सका है।
 कहते हैं कि हर एक इंसान की ज़िन्दगी में एक ऐसा मुश्किल वक्त जरूर आता है, जब उसे यह परख हो जाती है कि कौन उसका शुभचिन्तक है, कौन नहीं, कौन उसके साथ खड़ा है, कौन नहीं और कौन उसका अपना है, कौन नहीं। राहुल की ज़िन्दगी में भी एक ऐसा वक्त आया था, जब सगे-सम्बन्धी जिनके अपने होने का राहुल को गुमान था, उन सबने राहुल की पैसों से मदद करने से साफ मना कर दिया था। राहुल उन्हें ज़िन्दगीभर याद रखेंगे। वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश शासन के पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से किये गये सहयोग और मदद को राहुल ताउम्र याद करते रहेंगे। गौरतलब है कि याद रखने और याद करने में जमीन-आसमान का अन्तर होता है। साथ ही राहुल को तरक्की की राह पर चलने में मददगार साबित हुई 'मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना' का भी राहुल हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।